संसार के सभी राष्ट्र आज इस सत्य को स्वीकार करनें पर विवश हो गये हैं

 संसार के सभी राष्ट्र आज इस सत्य को स्वीकार करनें पर विवश हो गये हैं कि एशिया महाद्वीप में यदि कोई देश सच्चे अर्थों में जनतन्त्र कहा जा सकता है तो वह भारत है | किसी भी क्षेत्र में आदर्श की उपलब्धि अत्यन्त विरल होती है | इसलिये यह कहना तो बड़बोलापन होगा कि भारत वर्ष में आदर्श जनतन्त्र है पर सुधार की प्रक्रिया गतिशील है और इस गतिशीलता में ही यह संम्भावना छिपी है कि भारतीय जनतन्त्र कभी न कभी आदर्श व्यवस्था के नजदीक पहुँच जायेगा | हमारे देश के बहुत से पढ़े -लिखे व्यक्ति अभी भी हीन भाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हुये हैं | उन्हें विदेशी शिक्षा ,विदेशी जीवन पद्धति ,विदेशी तकनीक और विदेशी भाषा सभी कुछ भारत की अपनी समानांन्तर व्यवस्थाओं से अच्छा लगता है | किसी दूसरे की चीज को या किसी दूसरे देश की व्यवस्था को या किसी दूसरे देश की संस्कृति को यदि वह श्रेष्ठ है तो श्रेष्ठ कहनें में कोई बुराई नहीं है | उसकी श्रेष्ठता स्वीकार ही करनी चाहिये | पर जब हमारी मानसिकता ही ऐसी बन जाती है कि हम सदैव हीन भाव से ग्रस्त रहनें लगते हैं तो हमें अपनी अच्छी चीजों में भी कोई अच्छाई नजर नहीं आती | हमारी बुद्धि का तुलनात्मक सन्तुलन बिगड़ जाता है | यह सब इसलिये हो रहा है क्योंकि शताब्दियों से हमारी ब्रेन वाशिंग होती रही है | योरोपियन कल्चर सत्ता के बल पर हम पर लादा जाता रहा है | और हमारे दिमागों को इतना कन्डीशन्ड कर दिया गया है कि हम भटकन को ही सही रास्ता मान बैठे हैं | अब जब सारा पश्चिमी संसार इस बात को माननें के लिये बाध्य हो रहा है कि भारत की गृहस्थ व्यवस्था यानि पति और पत्नी के संम्बन्ध निश्चय ही अन्य देशों के लिये अनुकरणीय हैं तब हमारी आँखें थोड़ा बहुत खुलनें लगी हैं | इसी प्रकार तनाव मुक्ति के लिये जब पश्चिम भारत के योग और आयुर्वेद को अपना रहा है तो हमें अपनी धरोहर की मूल्यवत्ता का थोड़ा -बहुत आभाष होनें लगा है | ज्ञान का क्षेत्र इतना विशाल है और मानव की मानसिक बनावट इतनी विषमता भरी है कि संसार के किसी भी एक देश में सारे क्षेत्रों के आदर्श नहीं पाये जा सकते | अब जब मानव जाति विश्व स्तर पर उच्चतर जीवन जीनें का सपना देखनें लगी है तब हमें हर महाद्वीप और उन महाद्वीपों में बसे हर देश से गुणवत्ता के आधार पर कुछ न कुछ लेना होगा | दर्शन ,कला ,विज्ञान ,तकनीक ,सामाजिक संरचना और प्रशासन व्यवस्था इन सभी पर एक विश्वव्यापी नजर डालकर तटस्थ आलोचनात्मक द्रष्टि से उचित चुनाव करना होगा | अमरीका का कूड़ा करकट भारत का आदर्श नहीं बन सकता पर जमीनी धरातल पर नर -नारी समानता का जो करिश्मा अमरीका नें कर दिखाया है उसे भारत को थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ स्वीकार ही करना होगा | ऐसा नहीं है कि भारत के अतीत में महिलाओं को उच्चतम प्रशासन के सुअवसर न मिले हों पर इसमें कोई शक नहीं कि भारत की संस्कृति में महिलाओं का स्थान घर को सुचारू रूप से चलानें में ही रहा है | गृहणीं के नाते उनका अद्वितीय योगदान भुलाया नहीं जा सकता | अब आज के बदले युग में जब वे घर से बाहर निकल आयी हैं तो भारतीय राजनीति में भी उनका वर्चस्व कायम हो गया है | यदि हम गहरायी से विचार करें तो हम पायेंगें आज भी घर से बाहर निकलनें वाली महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले में बहुत कम  है शायद दशांस भी नहीं पर फिर भी वे चमकते नक्षत्रों की भाँति राजनीति के आकाश पर अपनी छाप छोड़ रही हैं | चार महिला मुख्यमन्त्री 2011 में एक साथ भारत के चार  प्रमुख राज्यों का कुशल प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं | भारत की राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों में भी कई महिलायें अत्यन्त महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं | कांग्रेस पार्टी की प्रधान सोनिया गांधी की शक्ति के बारे में तो 'माटी ' के पाठक परिचित ही हैं | भारतीय जनता पार्टी की शुषमा स्वराज अखिल भारतीय छवि लेकर उभर रही हैं | मीरा कुमार लोक सभा की स्पीकर रह ही चुकी हैं | कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और महान बैंकों के डायरेक्टर के पदों पर भी कई भारतीय नारियां विश्वभर में चर्चित हो रही हैं अभी हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सफल उम्मीदवारों के जो नाम सामनें आये हैं उनमें टाप स्थानों पर महिलाओं के ही नाम हैं | स्पष्ट है की भले ही नर -नारी की बराबरी का Concept भारत नें  आधे अधूरे मन से स्वीकारा हो पर अब जमीनी हकीकत पर यह एक ठोस तथ्य बन गया है और सरकार तो इस Concept को आगे बढ़ाने के लिये सारे प्रयत्न कर ही रही है पर अब जन साधारण जिसनें इस Concept को आधे अधूरे मन से स्वीकार किया था वो भी अब पूरे मनोवेग और निष्ठा के साथ नर -नारी की समानता की स्थापना में लगा है | हमारा विश्वास है कि कुछ ही वर्षों में लिंग अनुपात यानि राष्ट्रीय लिंग अनुपात केरल राज्य के लिंग अनुपात की बराबरी करने लगेगा | दूसरे शब्दों में नारियों की संख्या पुरुषों से अधिक हो जायेगी | अपने चारो ओर निगाह दौड़ाइये ,शिक्षा संस्थानों में ,एयरपोर्ट्स में ,होटल्स में ,बैंक्स में ,मल्टीनेशनल कम्पनीज में ,इन्टरटेनमेंट इण्डस्ट्रीज में ,मेडिकल प्रोफेसन में सभी जगह आपको महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ती हुयी दिखायी पड़ेगी | अब चूंकि प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य है और जन साधारण का मन लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिये बन चुका है इसलिये लगभग दो तीन दशक बाद भारत की सामाजिक संरचना में बहुत बड़ा परिवर्तन आ जायेगा | घर का संचालन केवल नारी की जिम्मेवारी नहीं होगी | उस क्षेत्र में पुरुषों का प्रवेश एक अनिवार्यता बन जायेगा | नारी के हांथों में जब आर्थिक शक्ति इकठ्ठी होनें लगेगी तो उसे अपनें अधिकारों के लिये अधिक जुझारू बननें का साहस भी पैदा हो जायेगा | भारत के तरुणों को इस बात के लिये तैय्यार रहना चाहिये कि उन्हें अपने को मर्द कहनें में जो गौरव आज प्राप्त होता है वह गौरव शायद आने वाले वर्षों में न मिले | मर्द शब्द के पीछे थोड़ा बहुत पशुबल का अहंकार है | मर्द शब्द साहस और शक्ति से तो जुड़ा है पर उसमें नारी को छोटा करके देखनें का भावबोध भी व्याप्त है | हो सकता है हिन्दी का मर्द और अंग्रेजी का मैचो आगे चलकर घटिया शब्द मान लिये जांय | इसी प्रकार के तमाम वाक्य या घटनायें नये सन्दर्भों में अपना महत्व खो देंगीं | उदाहरण के लिये किसी पुरुष राजनीतिज्ञ को चूड़ी भेजकर उसकी हेठी करने का भाव नारी हीनता के बोध से ही जन्मा है | आने वाले कल में ऐसी घटनायें छिछले लोगों की सोच में ही सीमित हो जायेंगी | मायावती जी की हिम्मत को ललकारने वाला छिछली मनोवृत्ति चूड़ी भेजकर उनकी ताकत का अन्दाजा लगा सकता है | इसका यह मतलब नहीं है कि मायावती जी जो कुछ कर रही हैं सब ठीक है इसका सिर्फ यह मतलब है कि मर्द शब्द में या मैचो शब्द में जो भाव है उस भाव का समर्थ प्रतीक आज मायावती में मौजूद है | इसलिये हमें अपनी भाषा की संरचना पर भी एक गहरी नजर डालनी होगी क्योंकि हर भाषा अपनें समाज के मूल्यबोधों से प्रभावित होती है | श्रद्धालु और भक्त महिलाओं को हमारे सन्त पुत्रवती भवः का आशीर्वाद देते हैं | आगे चलकर या आज भी शायद इस आशीर्वाद को सन्तान वती भवः में बदल दिया जाय तो वह युगीन सन्दर्भों में ज्यादा सार्थक रहेगा | भारत की पूर्व प्रधानमन्त्री इन्दिरा गान्धी के रूप में हम दुर्गा शक्ति को राजनीति के धरातल पर अवतरित होते हुये देख चुके हैं | प्रतिभा सिंह पाटिल नें भारत की महिला प्रथम राष्ट्रपति बन कर राष्ट्रपति भवन को शक्ति के साथ शालीनता से भी गौरव मण्डित कर दिया है | जय ललिता के करिश्मायी व्यक्तित्व को तमिलनाडु पहले भी आदर दे चुका है | हाँ गुरुदेव वाला लफंगा वर्ग उन्हें आमार बँगला सोनार बँगला ममता जी को भारत के राजनीतिक क्षितिज पर कितना बड़ा सितारा बना  कर उभार सकेगा यह देखना रोमांचक होगा | मातृ शक्ति को प्रणाम | नारी शक्ति को प्रणाम |' माटी ' अपनी शुभ कामनायें नव निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को प्रेषित करती है |


Popular posts
बहरीन में रह रहे पेरेंट्स की जैकलिन फर्नांडीज को सता रही चिंता, कहा-'काश वो मेरे साथ होते'
3 दिन में तीसरी आतंकी वारदात/ सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 10 सैनिक मारे गए, 8 आतंकी भी मार गिराए
कोरोनावायरस महामारी के बाद शेन्जेन शहर में नहीं बिकेगा कुत्ते-बिल्लियों का मांस, एक मई से नियम लागू
प्रियंका पर उनके पिता ने लगा दी थी टाइट कपड़े पहनने की पाबंदी, इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने शेयर किया किस्सा
20 हजार से कम कीमत के इन 7 स्मार्टफोन में मिलता है पॉप-अप सेल्फी कैमरा, सबसे सस्ता स्मार्टफोन 9999 रुपए का
Image